देहरादून। उत्तराखंड में बीते दस वर्षों के दौरान रेल सरपट दौड़ी है। केंद्र सरकार के सहयोग से रेल सेवा के क्षेत्र में लगातार विकास हुआ है।
बीते वर्षों में उत्तराखंड को वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन के साथ कई नई ट्रेन मिलीं, जिससे उत्तराखंड से अन्य राज्यों के लिए आवागमन आसान हुआ।
रेल विकास निगम की महत्वपूर्ण ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल परियोजना का काम पूरा होने के बाद उत्तराखंड की तस्वीर ही बदल जाएगी। पहाड़ पर ट्रेन चढ़ने से जहां रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे, वहीं तीर्थाटन और पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा।
देहरादून रेलवे स्टेशन पर बीते वर्षों में पुनर्विकास के कई कार्य हुए हैं। वर्ष 2019 तक देहरादून 12 से 13 डिब्बों की ट्रेन ही आती थी, लेकिन वर्ष 2019-20 में यार्ड रिमाडलिंग कार्य के बाद से स्टेशन पर 18 डिब्बों की ट्रेन पहुंच रही हैं। देहरादून रेलवे स्टेशन पर एक प्लेटफार्म बढ़ने से प्लेटफार्म की संख्या पांच हो गई है।
स्टेशन पर केबिन कार्य इलेक्ट्रानिक किए गए। साथ ही दो शंटिंग नेक तैयार की गई। वर्ष 2023 में देहरादून को दो वंदे भारत एक्सप्रेस की सौगात मिली। इसमें एक देहरादून से आनंद विहार (दिल्ली) और दूसरी देहरादून से लखनऊ के बीच चलाई जा रही है।
इन दोनों वंदे भारत एक्सप्रेस से यात्रियों को एग्जीक्यूटिव क्लास में तेज एवं आरामदायक सफर का लाभ मिलता है। इसके अलावा देहरादून से टनकपुर के बीच भी नई ट्रेन शुरू की गई है।
योगनगरी ऋषिकेश रेलवे स्टेशन की सुंदरता के कायल यात्री
ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल परियोजना के पहले रेलवे स्टेशन योगनगरी ऋषिकेश को खूबसूरती से बनाया गया है। स्टेशन की सुंदरता के यात्री भी कायल हो रहे हैं।लोग सेल्फी लेने के लिए स्टेशन परिसर में जाते रहते हैं। इसी तरह उत्तराखंड में अन्य रेलवे स्टेशनों का भी कायाकल्प किया जाना है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी वर्चुअल माध्यम से कायाकल्प कार्यों का शुभारंभ कर चुके हैं। इनमें हर्रावाला, रुड़की, टनकपुर, काशीपुर व कोटद्वार शामिल हैं। इन पर निर्माण कार्य शुरू हो गए हैं। स्टेशनों को एयरपोर्ट की तर्ज पर विकसित किया जाएगा। यहां यात्रियों को विश्वस्तरीय सुविधाएं मिलेंगी।
रेलवे ने उत्तराखंड के लालकुआं व टनकपुर रेलवे स्टेशन को नई ट्रेनों की सौगात देकर रेल यातायात को सुगम बनाया है। लालकुआं से अमृतसर, लालकुआं से आनंद विहार और लालकुआं से हावड़ा के लिए ट्रेन चलाई गई हैं, जिनका यात्रियों को सीधा लाभ मिल रहा है।
लालकुआं रेलवे स्टेशन का 24 करोड़ की लागत से कायाकल्प किया जा रहा है। वहीं, टनकपुर रेलवे स्टेशन से देहरादून, मथुरा, त्रिवेणी व दिल्ली के लिए ट्रेन चलाई गई हैं। इसके अलावा टनकपुर से अयोध्या के लिए ट्रेन चलाने पर भी विचार हो रहा है।
टनकपुर रेलवे स्टेशन के कायाकल्प के साथ डबल लाइन बिछाने का कार्य भी किया गया है। इसके बाद यहां से नई ट्रेनों का संचालन हो रहा है।
रेलवे की अतिमहत्वपूर्ण ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल परियोजना का कार्य पूरा होने से उत्तराखंड की तस्वीर बदल जाएगी। परियोजना के कार्य से जहां अभी स्थानीय व्यक्तियों को रोजगार मिल रहा है, वहीं कार्य पूरा होने के बाद पहाड़ों पर आवागमन आसान होगा। इससे पहाड़ी राज्य की आर्थिकी भी सशक्त होगी। पहाड़ों के बीच रेल पहुंचने से रोजगार के साथ पर्यटन व तीर्थाटन को भी पंख लगेंगे। इस परियोजना से चारधाम यात्रा की तस्वीर बदलने की भी उम्मीद है। ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल परियोजना को लेकर स्थानीय लोगों में भी काफी उत्साह है। उन्हें उम्मीद है कि स्थानीय उत्पाद और पहाड़ी व्यंजनों को भी इससे नई पहचान मिलेगी।
ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल परियोजना पर 16,216 करोड़ की शुरुआती लागत से अप्रैल 2016 में कार्य शुरू हुआ था। परियोजना के तहत ऋषिकेश से कर्णप्रयाग तक 125 किमी रेल लाइन बिछाई जानी है, जिसमें से 104 किमी की दूरी 17 सुरंगों के माध्यम से तय होगी।
परियोजना पर 12 पुल भी बनाए जा रहे हैं। योगनगरी ऋषिकेश से कर्णप्रयाग के बीच 13 रेलवे स्टेशन बनाए जाने हैं। इनमें योगनगरी ऋषिकेश और वीरभद्र रेलवे स्टेशन बनकर तैयार हो गए हैं।
इस परियोजना के पूर्ण होने के बाद ऋषिकेश से कर्णप्रयाग के बीच का सफर महज ढाई घंटे में तय किया जा सकेगा, जिसमें अभी सात से आठ घंटे लगते हैं। रेल परियोजना पर देश की सबसे लंबी रेल सुरंग तैयार की जा रही है, जो 14.57 किमी लंबी है। परियोजना में 12 सुरंग ऐसी हैं, जो तीन किमी से अधिक लंबी हैं।
उत्तराखंड के प्रमुख रेलवे स्टेशनों पर रेलवे की ओर से ‘एक स्टेशन एक उत्पाद’ योजना चलाई जा रही है। इसके तहत स्टेशनों के मुख्य प्रवेश द्वार पर स्टाल लगाकर उत्तराखंड के स्थानीय उत्पादों को बढ़ावा दिया जा रहा है। साथ ही विभिन्न स्टेशनों पर लगाए गए स्टालों पर अलग-अलग स्थानीय उत्पादों की बिक्री की जा रही है।
इसे उत्तराखंड आने वाले पर्यटक खूब पसंद कर रहे हैं। पर्यटक इन स्टालों से खूब खरीदारी कर रहे हैं। रेलवे ने शुरुआती चरण में कुछ स्टेशनों पर यह योजना शुरु की थी, अब अधिकांश स्टेशनों पर इसे लागू कराया जा रहा है।