देहरादून: रिस्पना नदी के किनारे मलिन बस्तियों में अवैध कब्जों को हटाने की कवायद नगर निगम गुरुवार से शुरू कर सकता है। हालांकि पिछले कुछ दिनों से नगर निगम में बस्तीवासी दस्तावेजों के साथ अपना दावा लेकर पहुंच रहे हैं। जिनमें से कुछ के पास वर्ष 2016 के पूर्व के दस्तावेज भी हैं। ऐसे में नगर निगम ऐसे दावों की दोबारा जांच कर स्थिति स्पष्ट करेगा। दस्तावेज सही पाए जाने पर संबंधित का नाम कार्रवाई की सूची से हटा दिया जाएगा। जबकि अन्य के विरुद्ध कार्रवाई की जाएगी। नगर निगम ने रिस्पना नदी के किनारे स्थित 27 बस्तियों में 524 अतिक्रमण चिह्नित किए हैं। जिनमें से 112 निर्माण को नोटिस भी भेजे जा चुके हैं। हालांकि शेष 412 अवैध निर्माण पर कार्रवाई का अभी तक कुछ पता नहीं है। नोटिस पीरियड पूरा होने के बाद निगम की भूमि पर स्थित 89 कब्जों को हटाने की कार्रवाई गुरुवार से शुरू हो सकती है।
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल एनजीटी ने 30 जून तक अतिक्रमण हटाने के निर्देश दिए हैं। हालांकि नोटिस जारी होने के बाद बड़ी संख्या में कब्जेदार नगर निगम के चक्कर काट रहे हैं। निगम के भूमि अनुभाग में पहुंचकर कब्जेदार दस्तावेज पेश कर अपना दावा पेश कर रहे हैं। हालांकि बिजली पानी के कनेक्शन की जांच में नगर निगम ने पाया कि यह वर्ष 2016 के बाद लिए गए हैं।
नियमानुसार मलिन बस्तियों में वर्ष 2016 के बाद किए गए सभी निर्माण अवैध हैं और उन्हें हटाया जाएगा। सोमवार को भी बड़ी संख्या में बस्तीवासी बिजली पानी समेत संपत्ति से संबंधित अन्य दस्तावेज लेकर नगर निगम पहुंचे। यहां चस्पा की गई कब्जेदारों की सूची में अपना नाम देखकर उन्होंने विरोध किया। उनका कहना है कि वह वर्षों से बस्ती में रह रहे हैं लेकिन किन्हीं कारणों से बिजली पानी के कनेक्शन वर्ष 2016 के बाद लिए हैं। नगर निगम की ओर से भी दस्तावेजों की जांच की जा रही है।
अवैध बस्तियों के चिह्नीकरण प्रक्रिया पर कांग्रेस ने सवाल उठाए हैं। उन्होंने वैध निर्माण को भी अवैध में दर्शाने का आरोप लगाया है। मंगलवार को पूर्व विधायक राजकुमार के नेतृत्व में बड़ी संख्या में कांग्रेसी नगर निगम परिसर पहुंचे। उन्होंने सरकार के विरुद्ध प्रदर्शन किया। इस अवसर पर पूर्व विधायक राजकुमार ने कहा है कि मलिन बस्तियों के निवासी 40 वर्षों से अधिक समय से बस्तियों में निवास कर रहे हैं और उनके पास पानी बिजली के बिल राशन कार्ड पहचान पत्र आधार कार्ड व सभी कागज उपलब्ध है। उन्होंने कहा कि इन बस्तियों में सांसद विधायक पार्षद नगर निगम एमडीडीए सिंचाई विभाग लोक निर्माण विभाग कार्य कराते हैं लेकिन अब सरकार इन बस्तियों को तोड़कर सैकड़ों परिवारों को बेघर करना चाहती है। उन्होंने कहा कि बस्तियों में वर्ष 2016 के बाद किए गए निर्माण अवैध हैं जबकि नगर निगम ने पुराने निर्माण को भी सूची में शामिल कर अवैध बताकर नोटिस भेज दिया है। इस अवसर पूर्व महानगर अध्यक्ष लालचंद शर्मा निवर्तमान पार्षद अर्जुन सोनकर निखिल कुमार मीना बिष्ट अनूप कपूर परमजीत ओबराय राकेश पंवार जहांगीर खान आदि उपस्थित रहे।