मुंबई। भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) ने एक बड़ी कार्रवाई की है। एसीबी ने बृहन्मुंबई नगर निगम (बीएमसी) के एक अधिकारी के खिलाफ मामला दर्ज किया है। वहीं दो लोगों को गिरफ्तार किया है। बता दें, अधिकारी के खिलाफ एक संपत्ति डेवलपर से उसकी इमारत की अवैध मंजिलों को नहीं गिराने के बदले दो करोड़ रुपये की रिश्वत मांगने का आरोप है।
एक अधिकारी ने बताया कि मुख्य आरोपी की पहचान मंदार अशोक तारी के रूप में हुई है, जो घाटकोपर पूर्व में बीएमसी के के पूर्वी वार्ड कार्यालय के अधिकारी हैं। उन्होंने बताया कि मुंबई एसीबी ने 33 वर्षीय दो व्यक्तियों मोहम्मद शहजादा यासीन शाह और प्रतीक विजय पिसे को मंगलवार को शिकायतकर्ता से रिश्वत की राशि की किश्त के रूप में 75 लाख रुपये लेते हुए गिरफ्तार किया।
इस मामले में प्रॉपर्टी डेवलपर ने घाटकोपर में अपनी चार मंजिला इमारत में दो अवैध फ्लोर का निर्माण किया था। अधिकारी ने बताया कि तारी ने अवैध मंजिलों को नहीं गिराने के लिए डेवलपर से दो करोड़ रुपये की रिश्वत मांगी थी और भविष्य में भूखंड पर उसके अवैध निर्माण को बचाने में मदद करने का वादा किया था, जहां डेवलपर दूसरी इमारत बनाने की योजना बना रहा था।
उन्होंने बताया कि डेवलपर ने एसीबी से संपर्क किया और 31 जुलाई को तारी के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई। भ्रष्टाचार रोधी एजेंसी ने इस बात का पता लगाया कि बीएमसी अधिकारी ने पहली किस्त के रूप में 75 लाख रुपये मांगे हैं। उसके बाद भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो ने जाल बिछाया। शाह तथा पिसे को रिश्वत की पहली किश्त लेते हुए गिरफ्तार कर लिया।
उन्होंने बताया कि बीएमसी अधिकारी तारी और दो पकड़े गए आरोपियों के खिलाफ भ्रष्टाचार रोकथाम कानून की संबंधित धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है। मुंबई की एक अदालत ने पिछले साल पालघर में एक चलती ट्रेन में चार लोगों की गोली मारकर हत्या करने के आरोपी रेलवे सुरक्षा बल के बर्खास्त कॉन्स्टेबल चेतन सिंह चौधरी पर बुधवार को धर्म के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच शत्रुता को बढ़ावा देने और हत्या के आरोप तय किए।
मुंबई से करीब 550 किलोमीटर दूर अकोला की एक जेल में बंद चौधरी को अदालत के समक्ष पेश किया गया, जिसने उसके खिलाफ आरोप तय किए। इससे उसके खिलाफ मामले में मुकदमा शुरू करने का मार्ग प्रशस्त हो गया है। यह घटना पिछले साल 31 जुलाई को महाराष्ट्र में पालघर रेलवे स्टेशन के पास जयपुर-मुंबई सेंट्रल एक्सप्रेस में हुई थी। चौधरी को बाद में भागने की कोशिश करते हुए पकड़ लिया गया था और उसके पास से हथियार भी बरामद किया गया था। यात्रियों ने ट्रेन की चेन खींच दी थी, जिसके बाद ट्रेन मीरा रोड स्टेशन (मुंबई उनगरीय नेटवर्क) पर रुक गई थी।
चौधरी ने रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ) के सहायक उपनिरीक्षक टीका राम मीणा और तीन अन्य यात्रियों को चलती ट्रेन में कथित तौर पर गोली मार दी थी। उस पर भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 302 (हत्या), 153-ए (धर्म, जाति, जन्मस्थान, निवास, भाषा, आदि के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देना) और अन्य तथा रेलवे अधिनियम एवं महाराष्ट्र संपत्ति विरूपण निवारण अधिनियम के प्रासंगिक प्रावधानों के तहत आरोप तय किए गए हैं।