गैरसैंण: प्रदेश में निजी संपत्ति को क्षति पहुंचाने पर अब जल्द ही जुर्माने व कठोर सजा के प्रविधान पर सदन की मुहर लगने जा रही है। इससे संबंधित अध्यादेश बुधवार को विधानसभा के मानसून सत्र के पहले दिन सदन के पटल पर रखा गया। इसमें दंगे बंद अथवा हड़ताल में किसी की मृत्यु होने पर आरोपित के लिए सात लाख रुपये का प्रतिकर देने का प्रविधान है। इसके अलावा सदन में दो अन्य अध्यादेश भी रखे गए। साथ ही विधायकों के वेतन भत्ते बढ़ाने के लिए गठित तदर्थ समिति का प्रथम प्रतिवेदन भी सदन में प्रस्तुत किया गया।
इसमें विधायकों के वेतन में 20 हजार रुपये की बढ़ोतरी के साथ ही भत्तों व वैयक्तिक सहायक के वेतन में बढ़ोतरी प्रस्तावित है। इससे विधायकों के वेतन भत्ते लगभग एक लाख रुपये तक बढ़ने की संभावना है। गुरुवार को तीन अध्यादेश व प्रतिवेदन को विधेयक के रूप में सदन में पेश किया जाएगा।
सदन में बुधवार को भोजनावकाश के बाद उत्तराखंड लोक तथा निजी संपत्ति क्षति वसूली अध्यादेश उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश नगर निगम 1959 संशोधन अध्यादेश और उत्तराखंड उत्तर प्रदेश नगर पालिका 1959 संशोधन अध्यादेश को सदन पटल पर रखा गया।
लोक तथा निजी संपत्ति अध्यादेश में यह स्पष्ट किया गया है कि राज्य में हड़ताल बंद दंगा एवं विरोध प्रदर्शन के दौरान सार्वजनिक अथवा निजी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने वालों से संपत्ति के नुकसान की क्षतिपूर्ति ली जाएगी। संपत्ति के मूल्य की गणना बाजार भाव के हिसाब से की जाएगी।
इतना ही नहीं इनमें किसी की मृत्यु होने पर कानूनी धाराएं तो लगेंगी ही साथ ही आरोपित को क्षतिपूर्ति भी देनी होगी। मूत्यु होने की दशा में प्रतिकर की न्यूनतम राशि सात लाख और स्थायी निशक्तता की स्थिति में दो लाख रुपये होगी, क्षति की वसूली के लिए संबंधित विभाग और निजी व्यक्ति को तीन माह के भीतर दावा करना होगा। यह दावा सेवानिवृत्त जिला जज की अध्यक्षता में बनने वाले विभिन्न दावा अधिकरणों में किया जा सकेगा, आरोप तय होने पर संबंधित व्यक्ति को एक माह के भीतर क्षतिपूर्ति जमा करनी होगी। ऐसा न करने पर दंड के प्रविधान भी किए गए हैं। इनमें आरोपित की संपति कुर्क करना शामिल है।
साथ ही इसमें लोक संपत्ति के साथ ही निजी क्षति को भी शामिल किया गया है। इसमें मृत्यु के साथ ही नेत्र दृष्टि श्रवण शक्ति अंग भंग होने सिर या चेहरे का विद्रूपण आदि को निशक्तता के दायरे में रखते हुए क्षतिपूर्ति का प्रविधान है।
नगर निकायों से संबंधित अध्यादेशों में निकायों में ओबीसी आरक्षण का निर्धारण आरोप सिद्ध होने पर निकाय अध्यक्ष के चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य घोषित होने संबंधी संशोधन शामिल है।